सिर्फ झांकी या सचमुच का मूल्य-सृजन!

हम बड़े विचित्र दौर से गुजर रहे हैं। जो जितना ज्यादा झांसा देने में सफल है, वो उतना ही ज्यादा कमा रहा है। कंपनियां विज्ञापनों के जरिए झांसा देती हैं। सेलेब्रिटी कंपनियों के माल बेचकर या सरकारी योजनाओं के विज्ञापन से कमाते हैं। सोचिए कि एक समय अमिताभ बच्चन के सितारे गर्दिश में थे। लेकिन अब तो रिजर्व बैंक से लेकर तेल व भुजिया तक के विज्ञापन से ही वे करोड़ों कमा ले रहे हैं। सचिन से लेकर धोनी और विरोट कोहली भी एक तरह का झांसा देकर ही करोड़ों कमा रहे हैं। राजनीति में नेतागण झांसा देकर सत्ता हथिया लेते हैं और फिर सालोंसाल तक जनधन पर हाथ साफ करते रहते हैं। रामदेव ने आयुर्वेद के नाम पर पतंजलि का झांसा देकर हज़ारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उन्होंने तो गड़करी और हर्षवर्धन जैसे मंत्रियों को बुलाकर कोरोना की झूठी गोलियां डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित बताकर बेच डालीं। हमें इस दौर में फिलहाल बेहद सावधान रहना होगा। वैसे, यह दौर हमें नीर-क्षीर विवेक हासिल करने का मौका भी दे रहा है। हमें पता लगाना होगा कि कौन-सी कंपनी झांकी बनाकर चल रही है और कौन सचमुच मूल्य जोड़ रही है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…

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