निफ्टी 5400 तो छोड़िए, 5338.40 को भी पार नहीं कर सका और 0.66 फीसदी की गिरावट के साथ 5322.90 पर बंद हुआ। किंगफिशर एयरलाइंस खुला तो थोड़ा बढ़कर। लेकिन 18.70 रुपए तक जाने के बाद 11.11 फीसदी की बढ़त लेकर 18.50 रुपए पर बंद हुआ। गिरते बाजार में भी शेयर बढ़ते हैं। बाजार से कमाई के लिए इसी पारखी नजर को विकसित करने की जरूरत है। यह नज़र या कला अभ्यास से एक न एक दिन आ ही जाती है।
तीन दिन से चल रही तेजी को आज, बुधवार को ब्रेक लगने की वजह विदेशी बाजारों के कमजोर रुख और मुनाफावसूली को बताया जा रहा है। वैसे, इस हफ्ते कुल मिलाकर निफ्टी 0.52 फीसदी और सेंसेक्स 0.47 फीसदी बढ़ चुका है। अब बाजार सीधे चार दिन बाद सोमवार, 9 अप्रैल को खुलेगा। इसलिए सभी कयास लगाने में जुट गए हैं कि सोमवार को क्या होगा। महौल में उम्मीदें और आशंकाएं एक साथ तैर रही हैं।
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने मुंबई में बैंकरों के साथ रिजर्व बैंक की बैठक के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 17 अप्रैल को नए वित्त वर्ष की सालाना मौद्रिक नीति में या तो सीआरआर (रिजर्व बैंक के पास रखे जानेवाली बैंकों की जमा का अनुपात) को घटा दिया जाएगा या रेपो दर (नीतिगत ब्याज दर) में कमी की जाएगी। वैसे, बैंकिंग सिस्टम में तरलता का संकट अब घटने लगा है। जैसे, बुधवार को बैंकों ने रिजर्व बैंक ने केवल 48,295 करोड़ रुपए ही उधार लिया है। इसलिए अगर एसबीआई चेयरमैन के इशारे को समझा जाए कि रिजर्व बैंक रेपो दर में कमी कर सकता है क्योंकि सीआरआर में तत्काल किसी कटौती की जरूरत नहीं है। वैसे भी सीआरआर इस समय 4.75 फीसदी है जो अक्टूबर 2004 के बाद का न्यूनतम स्तर है।
दूसरी तरफ, मुद्रास्फीति का डर भी सता रहा है। खासकर खाद्य मुद्रास्फीति का डर। कहा जा रहा है कि कम से कम जुलाई तक खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी रहेगी क्योंकि बढ़ते तापमान और पानी की कमी के चलते फलों व सब्जियों का उत्पादन घट गया है। साथ ही कम पैदावार के चलते खाद्य तेलों और दालों के दाम बढ़ने लगे हैं। इनके आयात से भी खास फायदा नहीं मिलने जा रहा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनके दाम चढ़े हुए हैं। ऊपर से सरकार का बढ़ता घाटा। ऐसे में शायद रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने को प्राथमिकता देते हुए ब्याज दरों में कटौती का दुस्साहस न कर सके।
लेकिन देश की इस उहापोह के ऊपर रहती है विदेशी बाजारों की हलचल क्योंकि बाजार को चला रहा है एफआईआई का धन और इस धन का आगम दुनिया के दूसरे बाजारों की हालत से प्रभावित होता है। अमेरिका का केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व अर्थव्यवस्था को एक और आवेग देने पर चुप्पी साध गया तो मंगलवार को अमेरिकी बाजारों में मायूसी छा गई। बुधवार को यूरोपीय बाजारों में गिरावट का रुख दिखा। एशिया के बाजार भी सुस्त रहे। चीन, हांगकांग व ताईवान के बाजार तो स्थानीय छुट्टी के कारण बंद थे। लेकिन जकार्ता का सूचकांक 1.93 फीसदी, निक्की 225 सूचकांक 2.29 फीसदी और सियोल कंपोजिट सूचकांक 1.50 फीसदी गिर गया। और, निफ्टी व सेंसेक्स भी नीचे आ गए। बिकवाली का दबाव बढ़ने लगा तो ट्रेडर लांग पोजिशन लेने से कतराने लगे।
वैसे, कल और आज दोनों ही दिन संस्थागत निवेशकों ने शुद्ध खरीदारी की है। एफआईआई की शुद्ध खरीद मंगलवार को 332.47 करोड़ रुपए और बुधवार को 45.82 करोड़ रुपए की रही, जबकि इसी दौरान डीआईआई की शुद्ध खरीद क्रमशः 200.28 करोड़ रुपए और 126.70 करोड़ रुपए दर्ज की गई है। फिर बेचा किसने है? आंकड़े बताते हैं कि इस हफ्ते के तीनों ही दिन आम निवेशक व एचएनआई बिकवाल रहे हैं। ब्रोकरों ने भी आखिरी दिन बिकवाली का अंदाज अपनाए रखा।
अंत में बस इतना कि कोई भी गुत्थी इतनी मुश्किल नहीं होती कि उसे सुलझाया न जा सके। बस, सारे तथ्यों पर नजर रखी जाए तो समाधान का कोई न कोई सूत्र, कोई न कोई सिरा दिख ही जाता है।