रिटेल में एफडीआई तब ‘राष्ट्रविरोधी’ क्यों था!

प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि एनडीए शासन के दौरान विपक्ष में रहते यही पार्टी खुदरा व्यापार में एफडीआई को राष्ट्र-विरोधी बताकर उसका विरोध करती थी।

उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्य सचेतक प्रियरंजन दास मुंशी ने 2002 में संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को उठाते हुआ कहा था कि अगर वाजपेयी सरकार मल्टी-ब्रांड रिटेल क्षेत्र में एफडीआई लाती है तो यह राष्ट्र-विरोधी कदम होगा।’’ सिन्हा ने इस मुद्दे को ‘राजनीतिक फुटबाल’ करार देते हुए कहा कि जहां बीजेपी आर्थिक आधार पर इसके खिलाफ है, वहीं कांग्रेस के रुख में बदलाव चौंकाने वाला है। कांग्रेस अब मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार में 51 फीसदी एफडीआई की वकालत कर रही है।

हजारीबाग से लोकसभा सांसद सिन्हा ने एनडीए शासन के दौरान एफडीआई की पैरवी किए जाने का बचाव करने के साथ दावा किया कि वैश्विक रिटेल चेन को एफडीआई के तहत देश में लाना कभी भी एनडीए सरकार के एजेंडा का हिस्सा नहीं रहा है। हां, यह जरूर है कि एनडीए ने आम चुनाव के लिए केवल अपने 2004 के दृष्टि पत्र में इसका जिक्र किया था। लेकिन उसमें लिखा सब कुछ कार्रवाई में तब्दील हो, यह आवश्यक नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उस समय एफडीआई की बात कही थी। लेकिन बाद में अध्ययनों से जब यह पाया कि ऐसा करना गरीब व छोटे किसानों के लिए लाभकारी नहीं होगा तो पार्टी ने इस बारे में अपना रूख बदल लिया।

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