अभी तक शेयर बाजार को रिटेल निवेशकों ने संभाल रखा था। लेकिन क्या रिटेल निवेशकों व ट्रेडरों का यह सहयोग आगे भी बना रहेगा? हुआ यह था कि साल 2020 के दूसरे हिस्से और पूरे साल 2021 में शुरुआती गिरावट के बाद लोगों की आय कुछ ज्यादा ही तेज़ी से बढ़ गई। ब्याज दरें भी कम थीं तो इससे उपभोक्ता खपत बढ़ गई। कम ब्याज दर की वजह से वाहनों, मकान और बिजनेस तक के लोन पर ईएमआई घट गई। कम ब्याज दर और बढ़ी आमदनी ने पिछले दो सालों में अर्थव्यवस्था को भले ही थोड़ी गति मिली हो, लेकिन शेयर बाज़ार में रिटेल निवेशकों व ट्रेडरों की धमक बढ़ गई। यही नहीं, इन निवेशकों में क्रिप्टो तक का क्रेज़ बढ़ गया। लेकिन ठहरी आय और बढ़ती मुद्रास्फीति ने सब पंक्चर कर दिया है। अब बुधवार की बुद्धि…
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