देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी इनफोसिस टेक्नोलॉजीज के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने सवाल उठाया है कि चीन ने अपनी सस्ती मैन्यूफैक्चरिंग के दम पर दुनिया के तमाम देशों में औसत नौकरियों के मौके खत्म कर दिए है, लेकिन उसके खिलाफ कहीं शोर नहीं होता। जबकि भारत ने आउटसोर्सिंग के काम से नौकरियों के सीमित अवसर ही खत्म किए हैं, लेकिन भारत के खिलाफ खूब हल्ला मचाया जा रहा है। नारायण मूर्ति मंगलवार को बैंगलोर में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (आइमा) द्वारा आयोजित ‘नॉलेज समिट’ में बोल रहे थे। उनका यह बयान खासतौर पर अमेरिका में भारत के खिलाफ बने माहौल को लेकर था। इस बयान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा हफ्ते भर बाद 6-7 नवंबर को पहली बार भारत के दौरे पर आ रहे हैं।
इनफोसिस प्रमुख ने कहा कि चीन पश्चिमी देशों को 1.1 लाख करोड़ डॉलर का निर्यात करता है। हम 5000 करोड़ डॉलर का निर्यात करते हैं जो चीन की तुलना में कुछ भी नहीं है। चीन की असामान्य निर्यात उपलब्धि से पश्चिम के देशों में निचले स्तर के रोजगार के अवसरों को काफी नुकसान पहुंचा है। लेकिन उसके खिलाफ कोई चर्चा नहीं होती क्योंकि यह ऊपर से दिखता नहीं। इसका सबक यह है कि हम यह सुनिश्चित करें कि उन बाजारों में हम बहुत ज्यादा नजर नहीं आएं।
उनका कहना था कि भारतीय कंपनियों को अगर आउटसोर्सिंग पर मचे हल्ले को कम करना है तो उन्हें फ्रंट एंड के कामों में स्थानीय लोगों को नियुक्त करना होगा। तब कोई हम पर उंगली नहीं उठाएगा। इंग्लैंड में हैं तो इंग्लिश लोगों को काम पर रखें, अमेरिका में अमेरिकियों को और ब्राजील में ब्राजीलिएन लोगों को। अगर कहीं भी काम करनेवालों का बड़ा हिस्सा भारतीय मूल का होगा तो किसी भी सरकार को परेशानी होना लाजिमी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब चीन ने भारत में बिजली संयंत्र लगाने के लिए अपने लोगों को भेज दिया था तो भारत सरकार को भी परेशानी हुई थी।
उऩ्होंने कहा कि अगर भारतीय कंपनियों के माथे पर पड़ी आईटी आउटसोर्सिंग की चिंता को दूर करना है तो हमने पक्का करना पड़ेगा कि हम जहां काम करें, वहां वहीं के लोगों को नियुक्त करें ताकि बाहर से हमारी उपस्थिति सबकी आंखों में न चुभे। नारायण मूर्ति आइमा के जिस सम्मलेन/सेमिनार में बोल रहे थे, उसका विषय था – अगले दशक में भारत और दुनिया की ज्ञान व प्रोफेशनल सेवाएं।