डब्बा ट्रेडिंग में ऐसे भी मामले होते हैं कि एक्सचेंज के सर्वर पर कोई सौदा नहीं होता। क्लाएंट को घाटा हो रहा होता है, फिर भी वह सौदा नहीं काटता। वह घाटे पर सौदा काट भी ले तो ऑपरेटर उसे क्रेडिट दे देता है। असल में उसका सारा तंत्र हवा-हवाई होता है। उसे बस क्लाएंट को चूना लगाना होता है। आपसे धन लेना होगा तो ऑपरेटर आपके घर रिकवरी एजेंट भेज देगा। लेकिन उसको धन देना होगा तो वह साफ बोल देगा कि नहीं देता, तू क्या कर लेगा मेरा, जो करना हो, कर ले। और, सचमुच आप उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि सौदे की कहीं कोई लिखत-पढ़त है नहीं। इसलिए न स्टॉक एक्सचेंज, न पूंजी बाज़ार नियामक सस्था सेबी और न ही कोई सरकारी महकमा ऑपरेटर के खिलाफ आपकी मदद कर सकता है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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