कैसा फोमो! ना उन्माद सही, ना विलाप

इस साल मार्च से ही शेयर बाज़ार पर तेज़ी का सुरूर छाया हुआ है। छोटी-बड़ी सभी कंपनियों के शेयर चढ़े चले जा रहे हैं। सेंसेक्स 67,600 और निफ्टी 20,000 के करीब पहुंच कर नीचे उतरा है। अब भी तमाम सूचकांकों में शामिल 80-90% स्टॉक्स 52 हफ्ते के शिखर के आसपास डोल रहे हैं। ऐसे में निवेशकों को मौका चूक जाने का डर सताने लगा है, जिसे अंग्रेज़ी में Fear of Missing out या फोमो कहते हैं। इस डर के चलते वे चढ़े हुए भाव पर भी शेयर खरीद ले रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि शेयर जहां तक चढ़ चुके हैं, वहां से अब नीचे नहीं आएंगे। हालांकि वे अक्सर यह भी देखते हैं कि उनके खरीदते ही शेयर गिरना शुरू कर देता है। फिर वे अपनी किस्मत का रोना लेकर बैठ जाते हैं। न उन्माद सही है और न ही विलाप। हो सकता है कि शेयर बाज़ार तेज़ी के नए दौर में चला जाए। मगर यह भी संभव है कि बाज़ार मंदी की गिरफ्त में आ जाए। अमेरिका से लेकर यूरोप तक आर्थिक मंदी, ऊंची ब्याज दरों और प्रमुख देशों में व्यापार-युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। इसलिए निवेशकों को दोनों ही स्थितियों के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। उन्हें वही कंपनी चुननी चाहिए जिसका वर्तमान से लेकर भविष्य तक संभावनामय हो। आज तथास्तु में एक ऐसी ही कंपनी…

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