झोंक में खरीदना और झोंक में बेच देना यह हमारे शेयर बाज़ार के नए-नवेले निवेशकों की बड़ी पुरानी आदत है। पिछले कुछ दिनों से जब से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की खरीद लौटी है और बाज़ार बढ़ने लगा है, आम निवेशक फिर से बावले होने लगे हैं। वे समझने को तैयार नहीं कि निवेश में भावों को गिरने-उठने के कहीं ज्यादा मायने-मतलब रखती है कंपनी की मूलभूत ताकत। कंपनी अगर मजबूत है, उसका धंधा चलना ही चलना है और उसके धंधे में बरक्कत की भरपूर गुंजाइश है तो भावों को लेकर कभी घबराना या उन्मत्त नहीं हो जाना चाहिए। वर्तमान को देखो ज़रूर, लेकिन भविष्य को हमेशा आंककर चलो। हो सकता है कि घाटे में चल रही कंपनी कल फायदे में आ जाए और सोने जैसी चमकती कंपनी कल पीतल साबित हो जाए। अब तथास्तु में आज की दो कंपनियां…
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