हमारा जीडीपी तब तक नहीं बढ़ सकता, जब तक मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र नहीं बढ़ता। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की दुर्दशा इसलिए हुई पड़ी है क्योंकि मांग के अभाव में न देशी निवेश आ रहा है और न ही विदेशी। फिर भी सरकार झांकी सजाए हुए है। 12 दिसंबर 2024 को वाणिज्य मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी की कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में 42.1 अरब डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है और अप्रैल 2020 से तब तक भारत में एक लाख करोड़ या एक ट्रिलियन डॉलर का एफडीआई आ चुका है जो भारत के ग्लोबल आकर्षण को साबित करता है। हकीकत यह है कि देश में अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक के आठ महीनों में आया शुद्ध एफडीआई 14.5 अरब डॉलर है जो पिछले 12 सालों का न्यूनतम स्तर है। इन दौरान कुल 48.6 अरब डॉलर का एफडीआई आया, जबकि 34.1 अरब डॉलर का विदेशी निवेश बाहर निकल गया। यही नहीं, इन दौरान भारतीय कंपनियों ने देश में निवेश न करके विदेश में 12.4 अरब डॉलर का निवेश किया है। कोढ़ में खाज बढ़ाने का काम विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भी किया है जिन्होंने भारतीय शेयर बाजार से अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान करीब 2.50 लाख करोड़ रुपए निकाल लिये। नए साल 2025 में ट्रेडिंग के अब तक के सात दिनो में ही वे 19,102.78 करोड़ रुपए और निकाल चुके हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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