न उन्माद, न अवसाद, न ही कोई कयासबाज़ी

जो निवेशक या ट्रेडर शेयर बाज़ार के मूल स्वभाव को समझते हैं, वे न तो उन्माद में उतराते हैं और न ही अवसाद में डूबते हैं। वे कभी न कयास में फंसते हैं और न भविष्यवाणियों से उलझते हैं। वे रिस्क और रिटर्न का अपना हिसाब दुरुस्त रखते हैं और हमेशा समभाव में रहते हुए मस्त रहते हैं। ट्रेडर जानता है कि यह ज़ीरो-सम गेम है। किसी के खाते का धन ही उसके खाते में आना है। उसका नुकसान, अपना फायदा। वह उन्नीस पर बीस पड़कर फायदा कमाता है। वहीं, निवेशक जानता है कि अर्थव्यवस्था बढ़ेगी तो कंपनी बढ़ेगी और कंपनी बढ़ेगी तो उसका रिटर्न बढ़ता रहेगा। उसे पता है कि रिटर्न का मूल स्रोत अर्थव्यवस्था के विकास में है तो वह जीडीपी पर भी ध्यान रखता है। अब बुधवार की बुद्धि…

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