कैबिनेट ने गुरुवार को सरकारी कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एबीसीसी) को शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाने की इजाजत दे दी। अभी कंपनी की सारी की सारी 90 करोड़ रुपए की चुकता पूंजी भारत सरकार के पास है। इसमें से 10 फीसदी इक्विटी सरकार बेचेगी, जिससे कुल 250 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। यह रकम चालू वित्त वर्ष 2011-12 में विनिवेश के लिए निर्धारित 40,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य के सामने इतनी कम है कि कोई पूछ सकता है कि सरकार आखिर कर क्या रही है।
इस साल अप्रैल के बाद से अभी तक केवल एक सरकारी कंपनी पावर फाइनेस कॉरपोरेशन के एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) से 1162 करोड़ रुपए जुटाए गए हैं। ओएनजीसी, सेल व हिंदुस्तान कॉपर जैसी बड़ी कंपनियों के इश्यू अटके हुए हैं। सरकार ने इन्हें काफी पहले मंजूरी दे चुकी है। लेकिन शेयर बाजार की कमजोर हालत के चलते इनके इश्यू बराबर टलते जा रहे हैं।
बता दें कि सरकार इस साल और अगले साल को मिलाकर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर बेचकर करीब 95,000 करोड़ रुपए जुटाने का मंसूबा पाले हुए है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में वह 40,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य के विपरीत विनिवेश से 22,762.96 करोड़ रुपए ही जुटा सकी थी।
इस तरह तुलनात्मक रूप से गुरुवार को मंजूर किया गया एनबीसीसी का इश्यू बहुत छोटा है। इसके तहत कंपनी के दस रुपए अंकित मूल्य के 90 लाख शेयर जारी किए जाएंगे। एनबीसीसी शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत चलनेवाली कंपनी है। इसके आईपीओ को संभालने के लिए पिछले महीने दो मर्चेंट बैंकरों – एनम सिक्यूरिटीज और आईडीबीआई कैपिटल को छांटा जा चुका है।
एनबीसीसी के इश्यू में उसके कर्मचारियों और रिटेल निवेशकों को तय मूल्य से 5 फीसदी डिस्काउंट पर शेयर बेचे जाएंगे। कैबिनेट ने गुरुवार को लिए गए फैसले में कहा है कि अगर कंपनी इश्यू से पहले बोनस शेयर जारी करती है तो उसकी चुकता पूंजी और जारी शेयरों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि एनबीसीसी कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सलाहकार सेवाओं में सक्रिय है।