रिलायंस इंडस्ट्रीज की 37वीं सालाना आमसभा (एजीएम) में चेयरमैन मुकेश अंबानी ने उसकी तारीफ के पुल बांध दिए। सब बता डाला कि कितनी बड़ी कंपनी है, बराबर किस शानदार रफ्तार से हर मोर्चे पर बढ़ी है, वर्तमान कितना दमदार है और भविष्य कितना शानदार होगा। मुंबई के न्यू मरीन लाइंस के बिड़ला सभागार में जुटे शेयरधारकों ने तालियां भी बजाईं। लेकिन बाजार को मुकेश अंबानी के वाग्जाल में कुछ दम नहीं नजर आया।
कंपनी का शेयर गुरुवार के बंद भाव 951.85 रुपए से थोड़ा बढ़कर 960 रुपए पर खुला। एजीएम शुरू होने के वक्त 11 बजे तक ऊपर में 967.90 तक चला गया। लेकिन एजीएम शुरू होने के बाद गिरा तो गिरता ही गया। दो फीसदी तक गिर जाने के बाद आखिर में 1.65 फीसदी की गिरावट के साथ 936.15 रुपए पर बंद हुआ। बताते हैं कि ट्रेडरों ने इसे बेचकर मुनाफा बटोरा है। शॉर्ट सेलिंग भी जमकर हुई है। लेकिन कारोबार इसमें अच्छा-खासा हुआ।
बीएसई में दो हफ्ते के औसत 3.90 लाख शेयरों की तुलना में शुक्रवार को रिलायंस के 12.66 लाख शेयरों में ट्रेडिंग हुई जिसमें से 12.72 फीसदी ही डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में 43.68 लाख शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 23.71 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। यह तो कैश बाजार का कारोबार है। इसमें रिलायंस के डेरिवेटिव सौदों (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) में हुआ कारोबार शामिल नहीं है। स्पष्ट है कि ट्रेडरों ने बाजार का किंग कहे जाने रिलांयस इंडस्ट्रीज के स्टॉक में जमकर दांव खेले हैं।
कंपनी की एजीएम के बाद रिसर्च फर्म क्रिस (केआरआईएस) के निदेशक अरुण केजरीवाल (सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल से इनका कोई रिश्ता नहीं है) का कहना था, “लोगों को उम्मीद थी कि मुकेश कंपनी की भावी योजनाओं पर खास कुछ बोलेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।” अपेक्षा पूरी नहीं हुई तो स्टॉक का गिरना स्वाभाविक था। वैसे भी साल 2011 में रिलायंस का शेयर 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है, जबकि सेंसेक्स में आई गिरावट 10 फीसदी से कम रही है। बता दें कि सेंसेक्स व निफ्टी दोनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का वजन सबसे ज्यादा है। इसलिए बाजार की दशा-दिशा तय में उसका अहम योगदान रहता है।
बाजार पूंजीकरण के लिहाज से आरआईएल देश की सबसे बड़ी कंपनी तो है ही। लेकिन एजीएम में मुकेश अंबानी ने जो-जो गिनाया, वह भी गौर करने लायक है। जैसे, यह देश के निजी क्षेत्र की पहली कंपनी है जिसका टर्नओवर 2.50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है। अभी कंपनी का उद्यम मूल्य 75 अरब डॉलर से ज्यादा है। 33 साल पहले रिलायंस पहली बार पूंजी बाजार में उतरी थी। 1978 में उसका पहला आईपीओ आया था। इन 33 सालों में हर साल कंपनी की आय 28 फीसदी, शुद्ध लाभ 30 फीसदी और बाजार पूंजीकरण 33 फीसदी बढ़ा है। जाहिर है, इतनी सालाना चक्रवृद्धि दर बहुत मायने रखती होती है।
मुकेश अंबानी ने शेयरधारकों के बीच यह भी घोषणा की कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 के खत्म होने तक आरआईएल पूरी तरह ऋण-मुक्त कंपनी बन जाएगी। 31 मार्च, 2011 को कंपनी पर 67,397 करोड़ रुपए का ऋण था। एक साल पहले उसका कुल ऋण 62,495 करोड़ रुपए था। लेकिन 31 मार्च 2012 को कंपनी पर कोई कर्ज नहीं होगा। साथ ही कंपनी अपना कैश बैलेंस भी बचाकर रखेगी।
31 मार्च 2011 तक आरआईएल के पास 42,393 करोड़ रुपए का कैश बैलेंस था, वह भी 80 फीसदी लाभांश के रूप में अपने 35.22 लाख शेयरधारकों को 2385 करोड़ रुपए दे देने के बाद। एक साल में कंपनी की नकदी दोगुनी हो गई है। मुख्य रूप से यह नकदी बैक खातों, एफडी, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड और सरकारी प्रतिभूतियों और बांडों में रखी हुई है।
रिलायंस चेयरमैन ने बताया कि कंपनी रिटेल धंधे में निवेश बढ़ाएगी और कैश एंड कैरी यानी थोक व्यापार में उतरेगी। कृष्णा गोदावरी घाटी के डी-6 ब्लॉक में वह अपनी ऩई सहयोगी कंपनी बीपी (ब्रिटिश पेट्रोलियम) के साथ मिल-बैठकर उत्पादन बढ़ाने के उपायों पर गौर करेगी। कंपनी ब्रॉडबैंड और उससे जुड़ी डिजिटल सेवाओं को खास तवज्जो देगी। साल भर पहले ही रिलायंस ने 100 करोड़ डॉलर में इनफोटेल ब्रॉडबैंड का अधिग्रहण किया है जो सरकारी नीलामी में राष्ट्रव्यापी ब्रॉडबैंड वायरलेस स्पेक्ट्रम जीतनेवाली इकलौती कंपनी है। मुकेश ने यह भी बताया कि कंपनी वित्तीय सेवाओं में कदम आगे बढ़ाएगी। लेकिन बिजली क्षेत्र में उतरने से वे पैर वापस खींचते नजर आए। यह छोटे भाई अनिल अंबानी के लिए बड़े सुकून की बात है।