ट्रेडरों से उल्टी दिशा पकड़ता है बाजार

अनिश्चितताओं का क्रम जारी है। बहुत से अनुत्तरित सवाल बाजार को डोलायमान किए हुए हैं। पिछले सेटलमेंट में सेंसेक्स 17,770 तक गिरने के बाद सुधरकर 18,600 पर आया ही था कि कुछ नई बुरी खबरों ने पटरा कर दिया। यकीनन, कच्चा तेल, मुद्रास्फीति और ब्याज दरों का बढ़ना जैसे पुराने मुद्दे बरकरार हैं। लेकिन इधर ग्रीस में फिर से उभरे ऋण संकट और अमेरिका में आई सुस्ती ने बाजार की मानसिकता को चोट पहुंचाई है। यहां तक कि भारत में चौथी तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर के 7.8 फीसदी रह जाने ने इशारा कर दिया है कि अर्थव्यवस्था की बढ़त धीमी पड़ रही है। बैंकिंग का ढर्रा और कार व ट्रकों की बिक्री भी नकारात्मक संदेश दे रही है। लेकिन मानसून ने आशा की कुछ किरणें फेंक दी हैं।

यह सब ऐसे मुद्दे हैं, बाजार जिनसे मोटामोटी वाकिफ है। इनमें ऐसा कुछ नहीं, जिन पर वह बड़ी प्रतिक्रिया दिखाता। हमने आपसे पहले भी यह बात साझा कर चुके हैं कि भारतीय बाजार अभी छिछला है, इसमें गहराई नहीं है। एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) स्टॉक डेरिवेटिव्स में जब तक फिजिकल सेटलमेंट लागू नहीं करता, तब भारी उतार-चढ़ाव चलता रहेगा। ऐसी स्थिति में ऑप्शन राइट करनेवालों फायदे में रहते हैं क्योंकि ऑप्शन राइटिंग में मोटा पैसा है।

बता दें कि ऑप्शंस राइटिंग अपने आप में कोई लिखत नहीं होती, बल्कि यह ऑप्शंस ट्रेडिंग की एक रणनीति है जिसमें ऑप्शंस बेचे जाते हैं। ऑप्शंस राइट करने का मुख्य मकसद ऑप्शन बेचनेवालों द्वारा दिए गये प्रीमियम से कमाई करना होता है। ऑप्शन राइटर इन नीयत के साथ ऑप्शन बेचता है कि वह उसकी अंतर्निहित या टाइम वैल्यू (मूल्य) में कमी से मुनाफा कमा लेगा। लेकिन अगर ऑप्शन का ग्राहक खरीद का विकल्प चुनता है तो राइटर को बाजार मूल्य और एक्सरसाइज मूल्य का अंतर अदा करना पड़ता है।

मई सेटलमेंट के दौरान निफ्टी 5600 से 5330 पर आ गया। ट्रेडरों ने लांग पोजिशन ले रखी थी। इसलिए चौथी तिमाही में कमजोर परिणामों के बाद शेयरों के मूल्य नीचे आ गए और सेटलमेंट के आखिरी दिन तक गिरते रहे। अगर फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था रहती तो गिरावट बीच में ही थम जाती और कैश बाजार में हर गिरावट पर ज्यादा खरीदार मिलते जिससे बाजार में एक तरह का संतुलन बनता। खैर, ऐसा है नहीं तो ज्यादा आरोह-अवरोह होना लाजिमी था।

अधिकांश ट्रेडर टेक्निकल चार्टों के हिसाब से चलते हैं। चार्टों ने कह रखा था कि 5600 को पार करना बड़ी घटना होगी। लेकिन शुक्रवार को दयानिधि मारन के खिलाफ जांच और अनिल अंबानी के सीबीआई के घेरे में आने जैसी बुरी खबरों के बावजूद निफ्टी 5600 से थोड़ा ऊपर चला गया था। हालांकि बाद में नीचे आ गया। अब सालाना नतीजों का मौसम बीत गया है। बाजार पहली तिमाही की बाट जोहने लगा है जिसके नतीजे अगले 30-40 दिनों में आने लगेंगे। लेकिन कुछ ऐसे मसले हैं जो अब भी बाजार को मथ रहे हैं।

क्या 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गिरफ्तार शाहिद बलवा को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने बात रखने की इजाजत मिलेगी? अगर हां, तो क्या वो कुछ और नेताओं के नाम बताएगा? यूपीए सरकार के इस तरह विश्वासघात करने पर बाबा रामदेव पलटकर क्या करनेवाले हैं और क्या बीजेपी रामदेव व उनके समर्थकों पर बर्बर पुलिस कार्रवाई को बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना पाएगी? देश उहापोह में है। ग्रीस को ऋण संकट से उबारने में यूरोपीय संघ को कितना वक्त लगेगा? क्या 9 जून को सरकार डीजल के मूल्य बढ़ा देगी और अगर हां, तो इससे मुद्रास्फीति पर क्या असर पड़ेगा? क्या अच्छा मानसून बढ़ती ब्याज दरों के असर को निष्क्रिय कर पाएगा?

ऐसे तमाम सवालों ने कैश की गड्डियां लेकर बैठे सच्चे निवेशकों को भी दुविधा में डाल रखा है, जबकि एफआईआई 5300 से 5600 के बीच की ट्रेडिंग रेंज के उतार-चढ़ाव का लुत्फ ले रहे हैं। वे ऑप्शंस में अल्गोरिथम ट्रेडिंग करके खुश हैं। हालांकि बाजार में पर्याप्त गहराई नहीं है। फिर भी उनका धंधा बहुत से ब्रोकरों को धंधे से बाहर कर देगा। असल में, डेल्टा ट्रेडिंग पहले ही बड़े ब्रोकरों की वेल्थ मैनेजमेंट डेस्क से बहुत सारे एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों को साफ कर चुकी है। इसलिए रिटेल व एचएनआई इस बार थोड़ा चौकन्ने हैं। उन्होंने मैदान डीआईआई व एफआईआई के लिए पूरी तरह खाली छोड़ दिया है।

इसलिए हमें लगता कि बाजार में बढ़ने से पहले 5735 और 5250 के बीच का एक ट्रेडिंग ज़ोन बन सकता है। 5735 इसलिए कि बाजार में अभी 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) को पार करने का रुझान नहीं दिख रहा। निफ्टी में 200 डीएमए फिलहाल 5755 का है। 5250 इसलिए क्योंकि बाजार की हालत खराब हुई तो टेक्निकल चार्टों के मुताबिक नई तलहटी बन सकती है। ताजा न्यूनतम स्तर 5330 का है।

इस महीने जिस तरह का घटनाक्रम रहेगा, उसमें निफ्टी के 5250 तक गिर जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। बाजार शुक्रवार को 5600 का स्तर छूकर नीचे इसलिए आ गया क्योंकि निफ्टी के 5580 के ऊपर जाते ही ट्रेडर लांग हो गए थे। हालांकि वह इस स्तर से ऊपर नहीं बंद हुआ। यह एक शाश्वत सच है कि बाजार ट्रेडरों की पोजिशन से ठीक उल्टा बर्ताव करता है। इसलिए यह देखना वाकई दिलचस्प होगा कि इस महीने बाजार चलता कैसे है।

अगले महीने से पहली तिमाही के नतीजे आने लगेंगे। पूरी उम्मीद है कि बाजार तब 200 डीएमए का स्तर तोड़कर ऊपर चला जाएगा। तब तक मानसून की पूरी तस्वीर भी सामने आ चुकी होगी। ऑटो और एफएमसीजी सेक्टर की किस्मत मानसून के हिसाब से चमकती या डूबती है।

इस दौरान निवेशकों को चुनिंदा स्टॉक्स पकड़ने का तरीका अपनाना चाहिए और नई सूचनाओं व खबरों को ट्रेडिंग के इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वैसे, सूचना कितनी भी अच्छी क्यों हो, एक बार सार्वजनिक होने के बाद संबंधित शेयर में गिरावट आती ही है। हमने कैमलिन में खबर ब्रेक की और देखा कि शेयर नई ऊंचाई पर जाने के बाद गिरने लगा। यूफ्लेक्स व लॉयड स्टील नया कुछ होनेवाला है। यह सबके सामने आते ही इनके शेयरों में मुनाफा वसूली शुरू हो जाएगी और वे गिरने लगेंगे। इसलिए खबरों की घोषणा हो जाने पर शेयरों को खरीदने से बचें क्योंकि तब उनमें फंस जाने की गुंजाइश बहुत ज्यादा होती है।

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