बाज़ार गिर रहा है। गिरता ही जा रहा है। कहा जा सकता कि या तो यह करेक्शन है या तेज़ी के दौर का अंत और मंदी की शुरुआत। अगर करेक्शन है तो फिलहाल समझदारी इसी में है कि बाज़ार का तमाशा दूर खड़े रहकर बाहर से देखा जाए। नहीं तो अगर रिस्क लेने की भरपूर क्षमता हो, तरीका पता हो तो बाज़ार को शॉर्ट किया जाए, डेरिवेटिव सेगमेंट में शॉर्ट सेलिंग की जाए। हम सभी इंसान हैं तो गलतियां करना लाजिमी है। करेक्शन के दौरान गलतियों को कम से कम करते जाने से ही जीतने की राह खुलती है। याद रखें कि शेयर बाज़ार में कुछ भी पहले से तय नहीं। कोशिश करना और गलतियों से सीखते जाना ही यहां आगे बढ़ने का तरीका है। घबराहट, अफरातफरी के माहौल में शांत रहना ज़रूरी है। अब सोमवार का व्योम…
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