क्या एफआईआई फिर लौटकर पहले जैसे जोशोखरोश के साथ भारत आएंगे? यकीनन, उनको आना ही है, बशर्ते भारतीय बाज़ार में उन्हें अमेरिका या अन्य विकसित देशों से ज्यादा रिटर्न मिलता है। अर्थशास्त्रियों से लेकर तमाम बाज़ार विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का कितना भी कुप्रबंधन कर लिया जाए, लेकिन उसकी आंतरिक सामर्थ्य इतनी ज्यादा है कि उसे निखरने से कोई रोक नहीं सकता। वैसे, अब भी हम गौर करें तो सेंसेक्स का प्रदर्शन डाउ जोन्स और निफ्टी का प्रदर्शन एस एंड पी 500 सूचकांक से बराबर बेहतर चल रहा है। ऐसे में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक यहां नहीं आएंगे तो जाएंगे कहां? प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश भी भारत में आएगा। माहौल का बेहतर होना तय है तो शेयर बाज़ार का बढ़ना भी लगभग पक्का समझना चाहिए। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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