शेयर डीमैट हो चुके हैं, अमूर्त हैं। उनके भाव धन, खासकर डॉलर के प्रवाह पर निर्भर हैं। इसलिए जानना होगा कि डॉलर के रूप में बह रहा धन किस पर निर्भर है। साल 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से ही डॉलर ने अपने यहां गदर काट रखी है। अभी तो अपना रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ाए, इससे कहीं ज्यादा असर शेयर बाज़ार में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने से होता है। अपने यहां बेरोजगारी की दर 45 सालों के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई। लेकिन शेयर बाज़ार पर इससे ज्यादा असर अमेरिका में हर महीने आते रोज़गार के आंकड़ों का होता है। अमेरिका की स्थिति व नीतियों से धन का प्रवाह कैसे प्रभावित होता है, यह हर दिन कैश सेगमेंट में एफआईआई की खरीद-फरोख्त में एकदम साफ दिख जाता है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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