शेयर बाज़ार, दरअसल दो सेनाओं के युद्ध जैसा है। एक सेना भावों को बराबर उठाते जाना चाहती है, जबकि दूसरी सेना भावों को बराबर नीचे ले जाने में लगी रहती है। दोनों में बराबर युद्ध चलता रहता है। कभी एक का पलड़ा भारी तो कभी दूसरे का। कभी-कभी मामला बीच में अटका रहता है। ट्रेडर का कोई खेमा नहीं होता। उसे बाज़ार के संतुलन के हिसाब से कमाने की कला सीखनी पड़ती है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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