मंदी वैसे तो नहीं, मगर ऐसे तो आ चुकी

क्या सौ साल से ज्यादा पुराने शेयर बाज़ार के डाउ सिद्धांत को अब भी सही माना जा सकता है? यकीनन माना जा सकता है, लेकिन हू-ब-हू नहीं। 1704 में लाया गया न्यूटन का सिद्धांत इसलिए नहीं गलत हो जाता कि वह पांच सौ साल से ज्यादा पुराना है। लेकिन उसे आइंसटाइन से लेकर मैक्स प्लांक तक के सिद्धांत से मिलाकर लागू किया जाता है। डाउ सिद्धांत जब आया था, तब शेयर बाज़ार में सारे सौदे स्पॉट या कैश ही होते थे, डेरिवेटिव्स नहीं थे। आज अलग-अलग स्टॉक्स व सूचकांकों तक के डेरिवेटिव्स जमकर ट्रेड होते हैं और उनका वोल्यूम कैश सेगमेंट से सौ गुना से ज्यादा है, तब डाउ सिद्धांत को नए संदर्भ में ही अपनाया जा सकता है। डेरिवेटिव सौदों का संकेत यह है कि अपने यहां मंदी आ चुकी है। अब मंगल की दृष्टि…

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