बात बड़ी साफ है कि भारतीय शेयर बाज़ार में अगर निफ्टी के 20,000 अंक तक पहुंचने के बाद भी तेज़ी का नया दौर शुरू होना है तो वैश्विक स्तर पर, खासकर अमेरिका में भी आर्थिक उभार की स्थिति रहनी चाहिए। तब तक मोमेंटम स्टॉक्स के पीछे ज्यादा समय तक भागना घाटे का सौदा बन सकता है। खुद ही देख लीजिए कि एक समय बाज़ार के चहेते रहे ज़ोमैटो, नाइका, कारट्रेड, व पेटीएम जैसे स्टॉक्स का क्या हश्र हुआ है। साल 2021 के इन तमाम पसंदीदा आईपीओ ने निवेशकों की 3.5 लाख करोड़ रुपए की दौलत स्वाहा कर दी है। एलआईसी जैसे बाज़ार के पुरोधा तक का आईपीओ निवेशकों को करीब 34% का चूना लगा चुका है। इसलिए तेज़ी-तेज़ी की आस और उसकी रट लगाने से पहले साफ आकलन के लिए इतिहास में झांक लेना ज़रूरी है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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