टूटकर बिखर रहा विकास का तिलिस्म

दस साल से बनाया गया आर्थिक विकास का तिलिस्म अंततः ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिरने लगा है। सरकारी संस्थान राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) का चालू वित्त वर्ष 2024-25 के बारे में पहला अग्रिम अनुमान है कि इस बार जीडीपी के विकास की दर 6.4% रह सकती है जो चार साल की न्यूनतम दर है। इस बार जुलाई 2024 में चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए नॉमिनल या सतही विकास के 10.5% रहने का अनुमान लगाया था, जबकि असली विकास दर का अनुमान 6.5% से 7% का था, यानी तब डिफ्लेटर 3.5% से 4% रखा गया था। पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक जीडीपी की सतही विकास दर इस बार 9.7% रह सकती है। मतलब, इसमें से 3.3% का डिफ्लेटर घटाकर असली विकास दर का अनुमान 6.4% निकाला गया है। अगर डिफ्लेटर 4% या रिजर्व बैंक के रिटेल मुद्रास्फीति के अनुमान 4.8% के बराबर रखते तो विकास दर का अनुमान 6.4% के बजाय 5.7% या 4.9% रह गया होता। दिक्कत यह है कि इस बार उद्योग या मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र मात्र 5.3% बढ़ रहा है, जबकि बीते वित्त वर्ष में यह 9.9% बढ़ा था। जीडीपी को ज्यादा डूबने से निजी खपत की 7.3% बढ़त बचा रही है। लेकिन यह बढ़त भी असल में बढ़ी महंगाई का नतीजा है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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