लम्बे निवेश के बारे में तरह-तरह की धारणाएं हैं। कुछ विशेषज्ञ पांच-दस साल तो कुछ ‘खरीदो व भूल जाओ’ की बात करते हैं। लेकिन हर धारणा समय से बंधी है। समय के साथ उसकी मार या उपयोगिता मिटती रहती है। मसलन, आज के दौर में जब अमेरिका, यूरोप व जापान जैसे विकसित देशों का बेहद सस्ता धन भारत जैसे उभरते देशों के शेयर बाज़ार की तरफ अंधाधुंध बह रहा है, तब बड़ी से लेकर छोटी कंपनियों तक के स्टॉक्स ने तार्किक मूल्यांकन के तमाम फ्रेम तोड़ दिए हैं। मानना पड़ेगा कि लम्बा निवेश भी तो एक तरह की ट्रेडिंग है। तथास्तु में अब आज की कंपनी…
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