अर्थशास्त्र का पारम्परिक सिद्धांत कहता है कि सभी इंसान तर्कसंगत व्यवहार करते हैं और स्वार्थ से संचालित होते हैं। जाहिर है कि शेयर बाज़ार के निवेशकों पर भी यह सिद्धांत लागू होता है। साथ ही शेयर बाज़ार कंपनियों का मूल्य खोजकर निकालने का तर्कसंगत माध्यम है। सभी इंसान तर्कसंगत, बाजार भी तर्कसंगत। फिर कहां लोचा रह जाता है कि शेयरों में धन लगाकर कुछ लोग कमाते हैं और बहुतेरे गंवाते हैं? यह लोचा है स्वार्थ से चलनेवाले तर्क के बीच भावनाओं की घुसपैठ का। साथ ही यह भी कि तर्क भले ही वर्तमान के सारे पहलुओं को देख ले, लेकिन वह भविष्य को नहीं देख सकता। डर व लालच की भावनाएं तार्किक दृष्टि को धुंधला कर देती हैं और भविष्य की अनिश्चितता सारी गणनाओं को धता बता देती है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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