आईआरबी: न तीन में, न तेरह में

जिस शेयर का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 1.79 रुपए हो और वह इससे 145.10 गुना या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा हो, उसे कोई क्यों खरीदे? वह भी तब जब पूरे बाजार का औसत पी/ई 21 के आसपास हो? लेकिन आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज ने आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर को खरीदने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि यह शेयर तीन महीने के भीतर बढ़कर 293 रुपए तक जा सकता है। कल यह शेयर मामूली गिरावट के साथ बीएसई (कोड – 532947) में 259 रुपए और एनएसई (कोड – IRB) में भी 259 रुपए पर बंद हुआ है। इसका पिछले 52 हफ्तो का उच्चतम स्तर 315 रुपए है जो इसने करीब ढाई महीने पहले 24 अगस्त 2010 को हासिल किया है, जबकि न्यूनतम स्तर साल भर पहले 3 नवंबर 2009 को 228 रुपए का रहा है।

आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज ने इसे मौजूदा भाव पर खरीदने के पूरे तर्क दिए हैं। उसका कहना है कि आईआरबी इफ्रास्ट्रक्चर देश में सड़क बनानेवाली प्रमुख कंपनियों में शुमार है और उसके पास इन-हाउस कंस्ट्रक्शन सुविधाएं भी हैं। इस समय उसके पास बॉट (बिल्ट, ऑपरेटर, ट्रांसफर) के तहत 5735 लेन किलोमीटर सड़के हैं, जिसमें से 3413 लेन किलोमीटर बनाकर चालू कर चुकी है और 2322 लेन किलोमीटर पर काम चल रहा है। कंपनी के इन-हाउस कंस्ट्रक्शन डिवीजन के पास 9507 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं। पहले बनाई सड़कों से उसके पास टोल टैक्स से अच्छा कैश फ्लो आता रहेगा। फिर इंफ्रास्ट्रक्चर, खासकर सड़कों का विस्तार तो होना ही है। ऐसे में आईआरबी का शेयर आगे बढ़ता ही जाएगा और 259 रुपए के मौजूदा स्तर से करीब 13 फीसदी बढ़कर तीन महीने में 293 रुपए हो जाएगा।

यह सही है कि कंपनी ने सितंबर 2010 की तिमाही में अच्छे नतीजे हासिल किए हैं। इस दौरान उसने 15.65 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है, जबकि साल भर पहले की सितंबर तिमाही में उसे 4.77 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। फिर भी अकेले दम पर कंपनी की स्थिति बहुत मजबूत नहीं लगती। लेकिन उसने समेकित आधार पर आंकड़े देकर अच्छी तस्वीर पेश की है। जैसे, समेकित आधार पर 2009-10 का उसका ईपीएस 11.60 रुपए है, जबकि अकेले दम पर यह आंकड़ा मात्र 1.68 रुपए का है। जून 2010 की तिमाही में कंपनी की हालत काफी खराब रही है।

आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज ने समेकित नतीजों को आधार बनाया है। लेकिन तब भी बात नहीं बनी तो उसने इसे खरीदने की सिफारिश के लिए तकनीकी विश्लेषण का सहारा लिया है। उसका कहना है कि अगस्त में 315 का शिखर बनाने के बाद यह लगातार गिरता रहा है। लेकिन 245 रुपए तक जाने के बाद उसे ऐतिहासिक मूल्य समर्थन मिला है। उसने आरएसआई और एमएसीडी जैसे मूमेंटम ऑसिलेटर्स का हवाला देते हुए इसके नए ऑरबिट में पहुंचने की बात की है। हो सकता है कि उसने कुछ अंदरखाने की खबरों के आधार पर इस शेयर के बढ़ने के खेल को बौद्धिक लिबास पहनाने की कोशिश की है और यह शेयर बढ़ भी जाए। लेकिन हमें तो नहीं लगता कि इस शेयर में आम निवेशकों को हाथ डालना चाहिए।

कंपनी की इक्विटी 332.36 करोड़ रुपए है जो दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 25.05 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास है जिसमें से म्यूचुअल फंडों के पास 3.9 फीसदी और एफआईआई के पास 12.7 फीसदी शेयर हैं। प्रवर्तकों के पास कंपनी की 74.05 फीसदी शेयर हैं जिसमें से उन्होंने 20.39 फीसदी शेयर गिरवी रखे हुए हैं। पब्लिक को सीमित हिस्सा देना और प्रवर्तकों द्वारा अपने शेयर गिरवी रखना भी इस कंपनी का नकारात्मक पक्ष है।

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