जापान महंगाई बढ़ाने के लिए बेताब

बैंक ऑफ जापान अपने यहां मुद्रास्फीति को बढ़ाकर 2% कर देना चाहता है। इसके लिए वह नोटों की सप्लाई को दोगुना करने जा रहा है। वहां इस साल फरवरी में मुद्रास्फीति की दर बढ़ने के बजाय 0.70% घटी है। वह भी तब, जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं, रहने के खर्च, परिवहन व संचार और संस्कृति व मनोरंजन का भार 71.5% (25 + 21 + 14 +11.5) है, जबकि ईंधन, बिजली व पानी का 7%, मेडिकल केयर का 4.3%, कपड़ों व जूतों वगैरह का भार 4% है। बाकी 13.2% भार घर के फर्नीचर, बर्तनों, शिक्षा व अन्य सेवाओं का है। भारत में मुद्रास्फीति का निर्धारण उपभोक्ता को नहीं, बल्कि उद्योग को ध्यान में रखकर किया जाता है। थोक मूल्य सूचकांक में 65% भार मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों का है। अगर इस सूचकांक में जापान जैसा भार रख दिया जाए तो मुद्रास्फीति की दर 25% के ऊपर पहुंच जाएगी। ऐसा होने पर ब्याज दर भी बढ़ानी पड़ेगी। इस तरह सच कहें तो गलत मूल्य सूचकांक चुनकर सरकार आम उपभोक्ता की जेब काटकर बैंकों और उद्योगों को भारी सब्सिडी दे रही है।

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