हसन अली के खिलाफ आतंकवाद का मुकदमा दर्ज किया जाए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को बड़े पैमाने पर कर-चोरी और विदेश में खरबों का अवैध धन रखने के आरोपी हसन अली के खिलाफ आतंकवाद और हथियारों के सौदागरों के साथ जुड़े रहने के मुदकमे दर्ज करने को कहा है। कोर्ट का कहना है कि अली के संबंध कथित तौर पर आतंकवादी गतिविधियों और हथियारों की खरीद-फरोख्त से रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एस एस निज्जर की पीठ ने मंगलवार को केंद्र सरकार से यह विचार करने को भी कहा कि क्या उसके खिलाफ दर्ज फर्जी पासपोर्ट मामले में सीबीआई जांच की जा सकती है।

पीठ ने विभिन्न हथियार सौदागरों और आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोगों के साथ खान के कथित संबंधों को लेकर उसके खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून ‘गैर कानूनी गतिविधि नियंत्रण अधिनियम’ के तहत आतंकवाद के आरोप और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अन्य कड़े प्रावधानों के तहत आरोप लगाने का सुझाव दिया। इस मामले में पिछले हफ्ते सरकार को लताड़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था – आखिर इस देश में चल क्या रहा है?

बता दें कि हसन अली को कल, सोमवार को ही प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से पुणे से गिरफ्तार किया है। उसके बाद शाम को उसे पूछताछ के लिए मुंबई ले आया गया। आज मंगलवार को उसे मुंबई की एक अदालत में पेश किया गया। हसन अली का दिखाने का धंधा घोड़े पालना और घुड़दौड़ में भाग लेने का है। उस पर 800 करोड़ डॉलर (करीब 36,000 करोड़ रुपए) की कर-चोरी व धोखाधड़ी का आरोप है।

गौरतलब है कि हसन अली महज 12वीं पास है। शुरुआत उसने एंटीक की चीजें बेचने से की थी। इस दौरान उसने संगमरमर की नई बनी चीजों को भी एंटीक बताकर बेच डाला। यह धंधा फ्लॉप हो गया तो 1970 में उसने हैदराबाद में किराए पर कार देने का काम शुरू किया। 1998 में उसे यह धंधा भी बंद करना पड़ा। उसके बाद उसने दुबई में स्क्रैप या कबाड़ का बिजनेस शुरू किया। लेकिन 1993 में यहां भी वह नाकाम रहा।

इस बीच 1991 में उसने हैदराबाद से घोड़ों की रेस में भाग लेना शुरू किया। तब उसके पास महज दो घोड़े थे। 1994 में उसने मुंबई का महालक्ष्मी रेसकोर्स ज्वाइन कर लिया। फिर तो वह पुणे, बैंगलोर, चेन्नई और दिल्ली तक की घुड़दौड़ के धंधे में शामिल हो गया। यहां से वह अरबों-खरबों में खेलने लग गया।

इस बीच उसने जम्मू-कश्मीर के एक व्यापारी के साथ मिलकर 2006-07 में कुवैत में ज्वैलरी की दुकान भी खोली। लेकिन अब वो भी बंद हो चुकी है। बताते हैं कि हसन अली के नेताओं से बड़े गहरे रिश्ते हैं और उसका मुख्य धंधा इन राजनीतिज्ञों के काले धन को विदेशी बैंकों में पहुंचाने का है।

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