टैपरिंग का सीधा-सा मतलब होता है अर्थव्यवस्था को दिए जा रहे वित्तीय प्रोत्साहन से हाथ खींचना। अमेरिका में फेडरल रिजर्व की योजना है कि वह इस साल मार्च तक सिस्टम में बॉन्ड खरीदकर डॉलर डालने के कार्यक्रम में कटौती या टैपरिंग शुरू कर देगा। उसके बाद वह खरीदे गए बॉन्डों को निकालने लगेगा। इससे बॉन्ड के भाव घटेंगे और उसी अनुपात में उन पर यील्ड या ब्याज की दर बढ़ने लगेगी जिससे बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने में मदद मिलेगी। हालांकि वहां रिटेल मुद्रास्फीति 6.8% के शिखप पर पहुंच चुकी है, जबकि सरकारी बॉन्डों पर यील्ड या ब्याज की दर 1.738% चल रही है। मतलब, वास्तविक ब्याज दर ऋणात्मक चल रही है। वहीं, भारत में सरकारी बॉन्डों पर यील्ड या ब्याज दर 6.62% के करीब है। अब बुधवार की बुद्धि…
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