देश में चल रही मुद्रास्फीति से जुड़ी होती है प्रचलित ब्याज की दर। धन की लागत या ब्याज दर से मुद्रास्फीति के असर को सम किया जाता है। नहीं तो ब्याज की वास्तविक दर निकालनी पड़ती है। इसे अमूमन धनात्मक होना चाहिए। यह अलग बात है कि आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए दुनिया के पांच देशों ने ब्याज की दर ही शून्य या ऋणात्मक रखी है तो वास्तविक ब्याज दर की बात करना ही निरर्थक है। जापान में ब्याज की दर -0.1% है। अमेरिका में ब्याज की दर 0.25% है तो मुद्रास्फीति की दर 5.4% है। इसलिए वहां वास्तविक ब्याज दर -5.15% निकलती है। भारत में यह -2.26% है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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