भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में विकसित देशों का पिछलग्गू बनने के बजाय कम से कम इतना जरूर दिखा दिया है कि उसकी रीढ़ की हड्डी अभी सही-सलामत है। अमेरिकी दौरे पर आए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शिकागो शहर में दिए गए एक बयान में कहा है कि ईरान के खिलाफ अमेरिका व यूरोपीय संघ की तरफ से बंदिशें लगाए जाने के बावजूद भारत ईरान से पेट्रोलियम तेलों के आयात में कमी नहीं करेगा। भारत अपनी तेल खपत का 13 फीसदी हिस्सा ईरान से आयात करता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि ईरान से तेल आयात में तेज कटौती करने पर किसी तरह का निर्णय करना भारत के लिए संभव नहीं है क्योंकि जो देश उभरती अर्थव्यवस्थाओं की जरूरत पूरी कर सकते हैं, उनमें ईरान एक महत्वपूर्ण देश है। अमेरिकी निवेश आकर्षित करने के लिए अपनी दो दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन रविवार को मुखर्जी ने कहा कि कुछ अन्य देश मसलन सऊदी अरब, नाइजीरिया व अन्य खाड़ी देश भी योगदान करते हैं, लेकिन ईरान का योगदान उल्लेखनीय है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि हम (भारत) हर साल 11 करोड़ टन कच्चा तेल आयात करते हैं। हम ईरान से आयात नहीं घटाएंगे। ईरान पर अमेरिकी और यूरोपीय पाबंदियों के बावजूद भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण देश है।
बता दें कि विश्व का चौथा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश भारत, ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक है, जबकि चीन उसका सबसे बड़ा तेल ग्राहक देश है। उल्लेखनीय है कि ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने उस पर कई तरह की पाबंदियां लगा रखी हैं। यूरोप ने हफ्ते भर पहले उससे तेल आयात करना बंद कर दिया।