यूं तो पूरा जीवन ही रिस्क से भरा पड़ा है। लेकिन शेयर बाज़ार एक ऐसी जगह है जहां रिस्क ही रिस्क है। किसी को नहीं पता कि आगे क्या हो सकता है। फिर भी कयासबाज़ी चलती है। इतनी ज्यादा कि कयासबाज़ी अपने-आप में शेयर बाज़ार से जुड़ा धंधा बन गई है। बिजनेस न्यूज़ चैनलों पर आनेवाले एनालिस्ट, अखबारों में निवेश पर कॉलम लिखनेवाले विशेषज्ञ और ब्लॉग से लेकर वेबसाइट चलानेवाले रिसर्च एनालिस्ट, सभी के सभी मूलतः कयासबाज़ी ही करते हैं। उनके स्रोता और पाठक पूछते रह जाते हैं कि जब इन जानकारों को इतना यकीन है कि कोई शेयर कितना बढ़ेगा या घटेगा और निफ्टी-सेंसेक्स किधर-कहां तक जाएगा तो खुद अपनी पूंजी लगाकर कमा क्यों नहीं लेते? उन्हें कहीं से कोई जवाब नहीं मिलता। अब सोमवार का व्योम…
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