भारत विपुल संभावनाओं से भरा देश है। आर्थिक ही नहीं, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी। हमने अभी तक जो हासिल किया है, वह हमारी अंतर्निहित सामर्थ्य से बहुत-बहुत कम है। लेकिन पूर्णता पाने के लिए सच को आधार बनाना और जिस झूठ ने हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक जीवन को दबोच रखा है, उसे जड़ से मिटा देना ज़रूरी है। असल में, कोई भी विकास सच को आधार बनाकर ही किया जाता है। झूठ पर टिका विकास खोखला होता है। झूठ की अफीम की पिनक जब उतरती है और सच सामने आता है, तब पता चलता है कि हम तो सालों-साल से वहीं के वहीं खड़े कदमताल करते जा रहे थे। दिक्कत यह है कि इस समय हमारी सरकार तक झूठ की अलम्बरदार बनी हुई है। मसलन, भारत सरकार ने देश में 2011-12 के बाद गरीबी कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया। फिर भी प्रधानमंत्री आईएमएफ का हवाला देते हुए कहते हैं कि भारत ने अतिशय गरीबी मिटा दी है। अब सोमवार का व्योम…
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