श्रम बाज़ार में स्नातकों की बढ़ती शिरकत यकीनन शुभ संकेत है। लेकिन देश की श्रमशक्ति में उनका हिस्सा अब भी काफी संकुचित है। कोरोना से आने से पहले सितंबर-दिसंबर 2019 में यह हिस्सा 13.2% हुआ करता था। कोरोना के दौरान जनवरी-अप्रैल 2020 में थोड़ा-सा बढ़कर 13.7% हो गया। लेकिन सितंबर-दिसंबर 2020 में घटकर 11.7% पर आ गया। लेकिन उसके बाद भी 12% के आसपास ठहरा हुआ है, जबकि श्रम बाज़ार में उनीक भागीदारी बढ़ गई है। इसकी एक वजह यह है कि देश में ग्रेजुएट्स के लिए नौकरियां इतनी नहीं बढ़ रही हैं जिससे श्रमशक्ति का स्वरूप बदल जाए। कोविड-19 से पहले सितंबर-दिसंबर 2019 में ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी की दर 14.6% थी। यह सितंबर-दिसंबर 2020 के दौरान 21.2% के चरम पर पहुंच गई। अभी घटने के बावजूद श्रम बाज़ार में उतरे 17.2% ग्रेजुएट्स बेरोज़गार हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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