इस सरकार के चरित्र के दो खास पहलू हैं जो इसके 11 साल के कार्यकाल में दिन के उजाले की तरह साफ हो चुके हैं। एक, यह कॉरपोरेट क्षेत्र और उसमें भी अपने प्रिय चुनिंदा बड़े समूहों का अहित कभी नहीं करेगी। दो, सरकार अपना मनमाना खर्च चलाते रहने के लिए टैक्स संग्रह को कभी घटने नहीं देगी। हालांकि वो आईएमएफ व विश्व बैंक जैसी वैश्विक संस्थाओं को खुश रखने के लिए ऋण पर अंकुश लगा सकती है ताकि राजकोषीय़ घाटा तय सीमा से ज्यादा न बढ़ने पाए। लेकिन अवाम से ज्यादा से ज्यादा टैक्स वसूलने का कोई मौका नहीं चूक सकती। नए वित्त वर्ष 2025-26 में कॉपोरेट टैक्स संग्रह का बजट अनुमान चालू वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान ₹9.80 लाख करोड़ से 10.41% ज्यादा है, जबकि इनकम टैक्स का बजट अनुमान ₹12.57 लाख करोड़ के संशोधित अनुमान से 14.40% ज्यादा है वो भी तब, जब ₹12 लाख तक की सालाना आय पर इनकम टैक्स अब ज़ीरो है। सरकार को नए साल में कॉरपोरेट व इनकम टैक्स जैसे प्रत्यक्ष टैक्स और जीएसटी, एक्साइज़, कस्टम व सेस जैसे परोक्ष टैक्स से कुल ₹42,70,233 करोड़ मिलने हैं जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान ₹38,53,455 करोड़ से 10.82% अधिक है, जबकि देश के जीडीपी बढ़ने की नॉमिनल दर 10.1% रहेगी। यानी, सरकार का टैक्स देश पर भारी। अब बुधवार की बुद्धि…
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