प्रधानमंत्री ने कोरोना पर गंभीर चिंता जाहिर की। लेकिन कोरोना से अच्छी बात यह हुई कि मांग घटने और रूस व ओपेक देशों में उत्पादन घटाने का समझौता न हो पाने से कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम 18 साल की तलहटी पर आ गए। सरकार इसका लाभ अवाम को देकर देश में माग बढ़ा सकती थी। इससे सुस्त अर्थव्यवस्था थोड़ी चुस्त हो जाती। लेकिन उसने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज़ बढ़ाकर अपना खजाना भर लिया। अब शुक्र का अभ्यास…
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