कल का रोना

जब वर्तमान बेकार और भविष्य अनिश्चित हो, तभी कोई अतीतजीवी बनता है। वरना, किसी को इतनी फुरसत कहां कि गुजरे कल को महिमामंडित करता फिरे! अतीतजीविता मर्ज का लक्षण है, निदान नहीं।

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