यह सरकार नॉमिनल और रीयल यानी, सतह पर जो दिख रहा है और जो असल में है, उस पर जमकर खेल रही है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में अनुमान था कि हमारा जीडीपी नॉमिनल स्तर या ऊपर-ऊपर 10.5% बढ़ेगा और 4% मुद्रास्फीति या डिफ्लेटर को घटाने के बाद जीडीपी की रीयल या असल विकास दर 6.5% रहेगी। अब हुआ यह है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने पूरे वित्त वर्ष का जो पहला अग्रिम अनुमान पेश किया है, उसके अनुसार नॉमिनल विकास दर तो घटकर 8.9% रह जाएगी, लेकिन असल विकास दर बढ़कर 7.3% हो जाएगी। डिफ्लेटर के इस खेल से सरकार और उसके अर्थशास्त्री निष्पक्ष अर्थशास्त्रियों को तो नहीं, लेकिन आम पब्लिक को ज़रूर झांसा देने में कामयाब हो जाते हैं। यह डिफ्लेटर का ही खुल्ला खेल है कि बीते वित्त वर्ष 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी के 16.1% की शानदार दर से बढ़ने के बावजूद असल विकास दर 7.2% निकली थी, जबकि इस बार नॉमिनल जीडीपी 8.9% बढ़ने के बावजूद असल विकास दर पहले से ज्यादा 7.3% बताई जा रही है। देश के आमजन को आंकड़ों की यह बाज़ीगरी समझनी होगी। वे इसे अपनी ज़िंदगी की वास्तविक स्थिति और उसमें आए बदलाव से जोड़कर समझ सकते हैं। अब बुधवार की बुद्धि…
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