डिमांड ज़ोन के आसपास खरीदो और सप्लाई ज़ोन की रेंज में पहुंचते ही बेचकर मुनाफा कमा लो। खरीदने और बेचने का दरमियानी फासला कुछ दिन से लेकर एकाध महीने से ज्यादा का भी हो सकता है। लेकिन किसी भी हालत में ट्रेडिंग या कहें तो अल्पकालिक निवेश की अवधि 90 दिन या तीन महीने से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। नहीं तो आप फंस जाओगे तो कई सालों में बहुत हुआ तो अपनी बचत को मुद्रास्फीति के असर को ही बेअसर कर पाओगे। असली रिटर्न कमोबेश ‘निल बटे सन्नाटा’ ही रहेगा। यह सोच है शेयर बाज़ार से जुड़े व्यावहारिक लोगों की। सिद्धांत की बड़ी-बड़ी बातें तो हर तरफ होती ही रहती हैं। असली बात है इस बाज़ार से नियमित रूप से कमाना और यह काम चिपकने नहीं, निकलते रहने की सोच और कर्म से होता है। अब सोमवार का व्योम…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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