इस समय देश के 13 बैंक मोबाइल से पैसों के लेनदेन की सुविधा (इंटरबैंक मोबाइल पेमेंट सर्विस या आईएमपीएस) दे रहे हैं। लेकिन नए वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2011 से 12 अन्य बैंक भी यह सेवा शुरू कर देंगे। यह दावा है मोबाइल पेमेंट फोरम ऑफ इंडिया (एमपीएफआई) का।
फोरम ने गुरुवार को हैदराबाद में बयान दिया कि मोबाइल बैंकिंग भुगतान सेवा फ़िलहाल 13 बैंक दे रहे हैं और 31 मार्च 2011 तक 12 और बैंकों के इस सेवा में शामिल होने की संभावना है। बता दें कि बैंकों द्वारा मोबाइल भुगतान सौदों की सहूलियत रिजर्व बैंक द्वारा गठित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आफ़ इंडिया या एनपीसीआई) उपलब्ध कराता है जबकि धन का निपटान क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) कर रहा है।
एमपीएफआई आईआईटी-मद्रास के आरटीबीआई (रूरल टेक्नोलाजी एंड बिजनेस इनक्यूबेटर) और आईडीआरबीटी (इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग) का संयुक्त उद्यम है। बैंकों में मोबाइल से पैसे के भुगतान की इंटरबैंक मोबाइल पेमेंट सेवा एनपीसीआई ने नवंबर 2010 से शुरू की है। इस सेवा के लिए बैंक अपने ग्राहक को सात अंकों का एमएमआईडी (मोबाइल मनी आइडेंटिफायर) नंबर देता है जिससे उसका मोबाइल नबंर और बैंक खाता आपस में जुड़ जाता है।
ग्राहकों के लिए ये काफी बेहतर सेवा है क्योंकि इससे वे न केवल घर बैठे अपने खातों के बैलेंस का पता करसकते हैं बल्कि किसी भी समय कहीं से भी पैसा टांसफर कर सकते हैं। उन्हें उसी समय भुगतान के बारे में पुष्टि हो जाती है। 31 मार्च 2011 तक यह सेवा पूरी तरफ मुफ्त है। लेकिन 1 अप्रैल 2011 से बैंक को हर सौदे पर 25 पैसे एनपीसीएल को देने का प्रस्ताव था। एनपीसीएल ने बुधवार, 16 मार्च को ही इसे घटाकर 10 पैसे करने का एलान कर दिया है।
इस समय एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, एक्सिस बैंक, यस बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और कोटक महिंद्रा बैंक समेत 13 बैंक यह सेवा दे रहे हैं। वैसे, पिछले हफ्ते ही यह संख्या 14 हो गई है क्योंकि डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक (डीसीबी) ने भी यह सेवा शुरू कर दी है।