प्याज के साथ-साथ अब फाइबर, खनिज, पेट्रोल, एलपीजी और डीजल भी महंगाई में पलीता लगाने लग गए हैं। सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार 22 जनवरी 2011 को समाप्त सप्ताह में प्याज की थोक कीमतें साल भर पहले की तुलना में जहां 130.41 फीसदी बढ़ी हैं, वहीं फाइबर 47.13 फीसदी, खनिज 16.70 फीसदी, पेट्रोल 30.75 फीसदी, एलपीजी 14.99 फीसदी और डीजल के दाम 14.71 फीसदी बढ़ गए हैं। कुल मिलाकर 22 जनवरी को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 17.05 फीसदी हो गई है, जबकि ईंधन मूल्य सूचकांक में 11.61 फीसदी का इजाफा हो गया है। वैसे, साल भर पहले भी खाद्य मुद्रास्फीति की दर 20.56 फीसदी दर्ज की गई थी।
लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति की इस मार ने सरकार को परेशान कर दिया है और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “कीमतों का बढ़ना, खासकर जिंसों व खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है।” उन्होंने कहा कि मांग और आपूर्ति दोनों ही तरफ से मुद्रास्फीति को काबू में करने की कोशिशें हो रही हैं। बता दें कि हफ्ते भर पहले खाद्य मुद्रास्फीति की दर 15.57 फीसदी और ईंधन मुद्रास्फीति 10.87 फीसदी रही थी।
खाद्य मुद्रास्फीति में प्याज के अलावा सबसे ज्यादा 77.05 फीसदी दाम सब्जियों के बढ़े हैं। इस दौरान गेहूं 4.34 फीसदी और दालें 11.12 फीसदी सस्ती हुई हैं। लेकिन फल 15.47 फीसदी, अंडा, मांस-मछली 15.05 फीसदी और दूध 11.41 फीसदी महंगा हुआ है। खाद्य मुद्रास्फीति का सीधा असर कुल मुद्रास्फीति पर भी पड़ रहा है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर दिसंबर में 8.43 फीसदी रही है। इसके बढ़ने के आसार को देखते हुए रिजर्व बैंक मार्च 2011 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है।
दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के अर्थशास्त्री एन भानुमूर्ति के मुताबिक प्याज की कीमतें अब शिखर से नीचे आना शुरू हो गई हैं और बहुत मुमकिन है कि 29 जनवरी के हफ्ते में प्याज व सब्जियों के दाम घटने से खाद्य मुद्रास्फीति थोड़ी नीचे आ जाए। मुश्किल यह है कि खाद्य मुद्रास्फीति की मुख्य वजह सप्लाई का कम होना है। विश्लेषकों का कहना है कि कृषि मूल्यों, स्टोरेज व मार्केटिंग में साहसी सुधारों के अलावा भूमि सुधारों पर भी गौर करने की जरूरत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नए साल के बजट में वित्त मंत्री इस बाबत नए कदमों की घोषणा कर सकते हैं।