वित्तीय जगत आज ग्लोबल हो गया है। इस जगत का केंद्र है अमेरिका। अमेरिका की हलचल यूरोप से लेकर एशिया तक को लपेट लेती है। उसने ब्याज बढ़ाई तो दूसरे देशों को ब्याज दर बढ़ाना ही पड़ता है। वे अगर ब्याज न बढ़ाएं और अमेरिका में ब्याज दर उनसे ज्यादा हो तो उनका धन निकलकर अमेरिका भागने लगेगा। इस तरह डॉलर निकलते रहे तो उसके मुकाबले उनकी अपनी मुद्रा कमज़ोर पड़ती जाएगी। उनके निर्यात डॉलर में सस्ते होते चले जाएंगे, लेकिन आयात महंगे होते चले जाएंगे। व्यापार घाटे में फंसे देशों के लिए यह स्थिति बड़ी घातक होती है। भारत के साथ इस समय यही हो रहा है। डॉलर के भाग जाने से रुपया खोखला होता जा रहा है। अंदेशा है कि इस समय 78.25 रुपए का डॉलर दिसंबर तक 81 रुपए का हो जाएगा। अब बुधवार की बुद्धि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...