उठा-पटक का दौर, इंट्रा-डे ट्रेडिंग सही!

वित्तीय जगह में नीतियों से लेकर बाज़ार तक भारी उथल-पुथल का दौर चल रहा है। अपने यहां रिजर्व बैंक ने ब्याज दर एक बार फिर 0.50% उठाकर 5.90% पर पहुंचा दी। अमेरिका का फेडरल रिजर्व कई बार ब्याज बढ़ाने के बाद आगे भी बढ़ाते रहने पर आमादा है। शेयर बाजार ऐसी भारी उहापोह में जमकर ऊपर-नीचे होता रहता है। हालत यह है कि दिन में निफ्टी का 200-250 अंक उठना-गिरना आज सामान्य बात बन गई है। ऐसे में रिटेल ट्रेडर के सामने सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि जब सुबह की तेज़ी शाम तक या इस दिन की तेज़ी अगले एकाध दिन में ही मंदी में बदल जाती है तब वो स्विंग, मोमेंटम या पोजिशनल ट्रेड से कैसे कमा सकता है? क्या उसे ऐसे माहौल में इंट्रा-डे ट्रेडिंग ही करनी चाहिए? इस पर सोच-विचार ज़रूरी है। अब सोमवार का व्योम…

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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
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