अर्थजगत का सबसे बड़ा सालाना सरकारी अनुष्ठान सम्पन्न हो गया। लेकिन शनिवार को आए नए वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में सुस्ती से घिरी अर्थव्यवस्था को उबारने का कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया। न उपभोक्ता मांग बढ़ाने के उपाय किए गए, न ही औद्योगिक निवेश बढ़ाने का प्रयास हुआ। ऊपर से कर-प्रणाली को उलझा दिया गया। निवेशकों पर लाभांश टैक्स देने का झंझट थोप दिया गया। आगे की राह बड़ी कठिन है। अब सोम का व्योम…
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