कमज़ोर होते रुपए से ऐसी तमाम कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ रहा जो कच्चा माल विदेश से आयात करती हैं या बाहर से अंतिम उत्पाद मंगाकर घरेलू बाज़ार में बेचती हैं। बाहर से कच्चा हीरा मंगाकर उसे तराशने व चमकाने के बाद निर्यात कर देनेवाली कंपनियों पर खास असर नहीं पड़ हा। लेकिन रसायन या दवाओं के अवयव आयात करनेवाली कंपनियों का धंधा मंदा पड़ता जा रहा है। यूपीएल जैसी मजबूत कंपनी का शेयर यूं ही नहीं अर्श से फर्श तक गिर गया है। वे कंपनियां भी काफी दबाव में हैं जिन्होंने काफी सारा विदेशी मुद्रा ऋण ले रखा है। ऐसी कंपनियों पर दीवालिया हो जाने का खतरा मंडरा रहा है। डॉलर में लिया ऋण ऐसी कंपनियों पर भारी पड़ेगा तो इनके शेयर गिरे जा रहे हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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