देखते ही देखते पुराना साल बीता, नया साल आ गया। आइए देखें कि साल भर में हमारे शेयर बाज़ार ने कितना रिटर्न दिया। शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022 से शुक्रवार 29 दिसंबर 2023 के बीच निफ्टी-50 सूचकांक 20.03%, निफ्टी-500 सूचकांक 25.76%, निफ्टी मिड-कैप 50 सूचकांक 50.20%, निफ्टी स्मॉल-कैप 50 सूचकांक 64.26% और निफ्टी माइक्रो-कैप 250 सूचकांक 66.44% बढ़ा है। यह पैटर्न साफ दिखाता है कि कंपनियों का आकार या बाज़ार पूंजीकरण जितना छोटा होता गया, उनका रिटर्न उतनाऔरऔर भी

लक्ष्य था कि 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना देंगे। लेकिन यह लक्ष्य 2025 तो छोड़िए 2026 तक भी हासिल करना असंभव है तो 2047 में भारत को विकसित देश बना देने का सपना उछाल दिया। लेकिन ‘कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक’ तो मोदी सरकार ने 24 साल बाद के सपने को 2024 के चुनावों का अभियान बनाकर अभी से विकसित भारत संकल्प यात्रा निकाल दी। 2047 में नऔरऔर भी

जिस नई औद्योगिक नीति पर दो साल से ज्यादा वक्त से काम चल रहा था, जिसका ड्राफ्ट साल भर पहले दिसंबर में ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ के नाम से जारी किया गया था, जिसे लाइसेंस-परमिट राज को खत्म के लिए 1991 में लाई गई ऐतिहासिक औद्योगिक नीति की जगह लेनी थी, उसे अब सरकार ने अनिश्चितकाल के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया है। उसने इसकी जगह प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) स्कीम से काम चलानेऔरऔर भी

भारत की सबसे बड़ी ताकत है इसकी युवा पीढ़ी, जिसे डेमोग्राफिक डिविडेंड कहा जाता है। लेकिन भारत अभी भुखमरी के सूचकांक में दुनिया के 125 देशों में 111वे स्थान पर है। हमारे पांच साल तक के 35% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। 2047 में जब अमृतकाल पूरा होगा, तब ये बच्चे 24 से 29 साल के शारीरिक व मानसिक रूप से कमज़ोर युवा होंगे। ऐसी स्थिति में 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का दावा क्रूरऔरऔर भी

शेयर बाज़ार के धुरंधर मानकर चल रहे हैं कि भारत मूलभूत रूप से बदल गया है। हम सरपट विकास की राह पर हैं। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डिफेंस तक पर खुलकर खर्च कर रही है जिससे हमारी कंपनियों को फायदा हो रहा है। सब कुछ मोदीमय है। चूंकि 2024 में भी मोदी सरकार बनना तय है तो बाजार कुलांचे मारे जा रहा है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि संसद बेमानी हो गई है, हाईकोर्टऔरऔर भी