कोरोना वायरस का कहर थम नहीं रहा। ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार इससे दुनिया में 1.5 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है और विश्व अर्थव्यवस्था को 2.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। इसकी सर्वाधिक मार  चीन के बाद भारत को लग सकती है। होली के मौके पर यह आशंका रंग में भंग न डाल सके, यही शुभकामना है। लेकिन सच का सामना तो करना ही पड़ेगा। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

डेढ़ साल पहले 24 अगस्त 2018 को यस बैंक का शेयर 404 रुपए के शिखर पर था। लेकिन 6 मार्च 2020 को 5.50 रुपए तक लुढ़क गया। सारी की सारी पूंजी लगभग स्वाहा। ऐसा तब हुआ, जब यस बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात मार्च 2019 में 16.5% और सितंबर 2019 में 16.3% रहा है जबकि बासेल-3 का अंतरराष्ट्रीय मानक 10.5% का है। यह है शेयरों में निवेश का रिस्क। फिर भी तथास्तु में आज एक और बैंक…और भीऔर भी

ध्यान रखें कि जब भी बड़ी घटना, खबरों या काफी उथल-पुथल का दिन होता है, तब वित्तीय बाज़ार में रिस्क या अनिश्चितता बहुत बढ़ जाती है। संभव है सब शांति से निपट जाए। लेकिन चूंकि उस दिन अनिश्चितता बढ़ी होती है, इसलिए रिटेल ट्रेडर को बाज़ार से दूर रहने के फैसले पर अडिग रहना चाहिए। इसलिए मौद्रिक नीति, कंपनियों के नतीजों, बजट या डेरिवेटिव सौदों की एक्सपायरी के दिन ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

रिटेल ट्रेडर के लिए सबसे सुरक्षित तरीका है लॉन्ग या खरीदने के सौदे करना। यहीं न्यूनतम रिस्क में अधिकतम रिटर्न के अवसर मिलते हैं। लेकिन कभी-कभी घबराहट भरी बिकवाली का ऐसा दौर आता है, जो काफी लम्बा खिंच सकता है, जब लॉन्ग ट्रेड के कमाई के अवसर बहुत कम होते हैं। ऐसे दौर में ट्रेडर को रोजमर्रा के बाज़ार से हटकर दो-चार महीने से लेकर चार-पांच साल तक का निवेशक बन जाना चाहिए। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

इस हकीकत से इनकार नहीं कि वित्तीय बाजार में गिरने के वक्त जमकर कमाया जा सकता है। बहुतेरे ट्रेडर हैं जिन्होंने शॉर्ट-सेलिंग से करोड़ों कमाए हैं और अब भी कमा रहे हैं। लेकिन यह शॉर्ट-सेलिंग डेरिवेटिव सौदों में ही संभव है जिसके लिए काफी पूंजी चाहिए। इतनी कि चार-पांच लाख डूब जाएं तो कोई फर्क न पड़े। इतना भारी रिस्क जमकर रिटर्न देता है। लेकिन क्या रिटेल ट्रे़डर इतना जोखिम उठा सकता है? अब बुधवार की बुद्धि…और भीऔर भी