चालू वित्त वर्ष 2019-20 में एलआईसी को 3.49 लाख करोड़ रुपए का निवेश करना है। यह रकम वह सरकारी प्रतिभूतियों, कॉरपोरेट बांडों व शेयरों समेत पूंजी बाज़ार के सभी प्रपत्रों में लगाएगा। इसमें से कितना धन कहां लगाया जाएगा, इसका पता नहीं। लेकिन बीते वित्त वर्ष 2018-19 में उसने 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा केंद्र व राज्य सरकारों के बॉन्डों में लगाए थे और उन पर लगभग 8.25% का रिटर्न कमाया था। अब मंगल की दृष्टि…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में सारा प्रायोजित खेल चल रहा है। चौंकाने वाला तथ्य है कि शुक्रवार को वित्त मंत्री की घोषणा के बाद जब सेंसेक्स व निफ्टी 5.32% उछल गए, तब बाज़ार के सबसे उस्ताद खिलाड़ी विदेशी निवेशक संस्थाओं ने मात्र 35.78 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद की। वहीं, देशी संस्थागत निवेशकों ने 3001.32 करोड़ रुपए की भारी शुद्ध खरीद की। इन देशी संस्थाओं में एलआईसी को ही सबसे बड़ा मोहरा बनाया जाता है। अब सोम का व्योम…औरऔर भी

अगर लीक से अलग हटकर चलने का साहस है और भीड़ की सोच से अलग निवेश करना चाहते हैं तो दो बातें आपके लिए ज़रूरी हैं। एक तो आप को साफ पता होना चाहिए कि भीड़ या बहुमत की सोच गलत क्यों है। दूसरे, आप में धैर्य और पक्का यकीन होना चाहिए कि आपका तरीका सही क्यों है। इन दोनों ही पहलुओं पर खुद को कायदे से ठोंक-बजाकर परख लेना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र को अब तक का सबसे बड़ा उपहार दिया है, वह भी बजट से बाहर। शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की राजधानी दिल्ली नहीं, बल्कि गोवा की राजधानी पणजी में शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में इस तोहफे या प्रोत्साहन उपाय की घोषणा की। इसके तहत कॉरपोरेट क्षेत्र को कुल 1.45 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया है। मकसद साफ है कि अर्थव्यवस्था में छाई निराशा और शेयर बाज़ारऔरऔर भी

एलआईसी बीमा व्यवसाय के निजीकरण के करीब दो दशक बाद भी देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी बनी हुई है। यह आम भारतीयों में जमी उसकी साख का प्रताप है। इससे पता चलता है कि करोड़ों भारतीय अपने जीवन का रिस्क कवर करने के लिए उस पर कितना भरोसा करते हैं। लेकिन कमाल की बात यह है कि वह देश में सबसे ज्यादा रिस्कवाले शेयर बाज़ार की सबसे बड़ी निवेशक भी है। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी