हमारे अवचेतन दिमाग में गहरे पैठी मान्यताओं व धारणाओं से हमारे सचेत विचारों की लड़ी फूटती है और इन्हीं विचारों से भय, लालच, क्रोध, चिंता व संशय जैसी भावनाएं पैदा होती हैं। जब इस तरह की भावनाएं सक्रिय हो जाती हैं तो वे हमसे ऐसे काम करवाती हैं जिनके बारे में हमने सोच रखा था कि वैसा नहीं करेंगे। ट्रेडर का सारा अनुशासन टूट जाता है और वो गलतियां करता चला जाता है। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

रिजर्व बैक ने दो महीने में दूसरी बार रेपो या बैंकों को दिए जानेवाले अल्पकालिक ऋण पर ब्याज 0.25% बढ़ाकर 6.50% कर दी। इसका कितना असर उद्योग से लेकर आम लोगों के ऋण के महंगा होने पर पड़ेगा, यह महज कयासबाज़ी है क्योंकि ऋण की कम मांग के बीच बैंक ब्याज दर बढ़ाएंगे, यह कहना मुश्किल है। शायद इसीलिए रिजर्व बैंक ने 2018-19 में जीडीपी के विकास का अनुमान 7.4% पर बनाए रखा। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

बचपन के कुछ नकारात्मक अनुभव हमारा नजरिया बांध देते हैं। वे हमारी मान्यताओं व धारणाओं को नकारात्मक, अतार्किक व सीमित बना देते हैं। इनकी गांठें हमारे अवचेतन मन में कुंडली मारकर बैठ जाती हैं। किसी ने कह दिया कि तुम्हारी किस्मत बहुत खोटी है या तुम गणित में बहुत कमज़ोर हो। फिर उसका बोझा हम ढोने लगते हैं। मान बैठते हैं कि सफल ट्रेडर बनने के लिए किस्मत का धनी होना पड़ता है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी