पूरे ध्यान व बड़ी शांति से करें काम
संस्थाओं और प्रोफेशनल निवेशकों का अपना-अपना अलग अंदाज़ है। लेकिन वे किसी तनाव में आए बगैर बड़ी शांति से काम करते हैं। कुछ हैं जो केवल निफ्टी-50 सूचकांक के स्टॉक्स में ही ट्रेड करते हैं। इसमें भी कुछ तो केवल चुनिंदा 20 स्टॉक्स को ही हाथ लगाते हैं। वहीं, कुछ चार-पांच स्टॉक्स तक सीमित हैं। बाकी बाज़ार कहां जा रहा है, इसको जानते ज़रूर हैं, लेकिन उस पर फालतू की मगज़मारी नहीं करते। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी
वहां सुरक्षा, यहां जोखिम जबरदस्त!
लंबे समय का निवेश भविष्य में फल देता है। पर भविष्य किसी ने नहीं देखा। मुमकिन है कि अभी टनाटन चल रही कंपनी चार-पांच साल बाद बैठ जाए और अपने साथ हमारा धन भी डुबा डाले। यही आशंका शेयर बाज़ार में निवेश का रिस्क है। एफडी में अमूमन मूलधन पर तय ब्याज मिलता रहेगा। लेकिन शेयर बाज़ार में पूरा का पूरा निवेश डूब सकता है। इसलिए इसमें इफरात धन ही लगाएं। अब तथास्तु में एक नई कंपनी…औरऔर भी
एंट्री व एक्जिट ज़ोन करें पहले से तय
सेक्टर के साथ-साथ कंपनी भी तय कर ली। लेकिन एंट्री और एक्जिट कहां करना है, इसका जवाब संस्थाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए उनकी टीम कंपनी की शेयरधारिता के पैटर्न से लेकर वित्तीय पहलुओं का बारीक विवेचन करती है। इसके बाद भावों का वो ज़ोन तय किया जाता है, जहां एंट्री करनी है और जहां से बाहर निकलना है। उनकी यह हरकत पकड़ लें तो हमारा कल्याण हो सकता है। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी
सेक्टर में भी चुनते मजबूत कंपनियां
सेक्टर तय कर लेने के बाद संस्थागत निवेशक देखते हैं कि उसमें भी कौन-सी कंपनियों के स्टॉक अच्छे चल रहे हैं और उनका फंडामेंटल आधार भी मजबूत है ताकि शेयर गिरे भी तो अंततः संभल जाए। वे कोई नकारात्मक झटका नहीं चाहते। फिर भी बाज़ार है तो अचानक कुछ घटने का खतरा बना ही रहता है। इस जोखिम को साधने के लिए वे पोजिशन साइजिंग से लेकर स्टॉप-लॉस जैसे तमाम तरीके अपनाते हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी