जो जैसा है, उसे वैसा ही देखना होगा
जीवन में हम इसलिए नहीं मात खाते कि हम कम जानकार या बुद्धिमान हैं, बल्कि ज्यादातर मात हम इसलिए खाते हैं क्योंकि जो जैसा है, उसे वैसा उसी रूप में, यथाभूत नहीं देख पाते। हम मन पहले बनाते हैं। फिर दूसरों की बात-सलाह और आंकड़ों से उसकी पुष्टि करते हैं। शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में हम मन के आईने से सच देखते हैं, जबकि असली सच दूर खड़ा हमें चिढ़ाता रहता है। अब सोमवार का व्योम…और भीऔर भी