कहते हैं कि शेयर बाज़ार के बढ़ने ही नहीं, गिरने पर भी कमाया जा सकता है और लोग कमाते भी हैं। डी-मार्ट के मालिक राधाकृष्ण दामाणी के बारे में मशहूर हैं कि मंदी से खूब कमाते रहे हैं। लेकिन कम पूंजीवाले ट्रेडरों के लिए गिरावट से कमाना संभव नहीं होता। आमलोग जमकर निफ्टी का पुट ऑप्शंस खरीदते हैं। लेकिन असली कमाई पुट ऑप्शंस बेचनेवाले करते हैं जिसमें मार्जिन फ्यूचर्स जैसा ज्यादा होता है। अब मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी

नए वित्त वर्ष के बजट के साथ शेयर बाज़ार में शुरू हुआ गिरावट का सिलसिला कहां जाकर रुकेगा, कहा नहीं जा सकता। घबराहट और अफरातफरी का माहौल छाया है। क्या जेटली का बजट चार साल से चले आ रहे मोदी के जादू का परदा गिरा देगा? क्या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगाना देश के पूंजी बाज़ार व अर्थव्यवस्था के लिए भारी पड़ेगा? आगे हमारी राजनीति क्या करवट लेगी? सवालों के बीच देखते हैं सोमवार का व्योम…औरऔर भी

चौदह सालों से हम निश्चिंत थे कि शेयर खरीदकर साल भर के बाद बेचा तो कोई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन बजट ने यह सुकून छीन लिया। 31 जनवरी 2018 के बाद शेयरों में निवेश से एक लाख से जितना ज्यादा कमाया, उस पर 10% टैक्स देना पड़ेगा। वैसे, इसका एक फायदा यह है कि घाटा लगा तो उसे हम अपनी करदेयता में एडजस्ट कर सकते हैं। अब तथास्तु में एक नई कंपनी…औरऔर भी

हमारा ध्येय शेयर बाज़ार में न्यूनतम रिस्क में अधिकतम कमाना होना चाहिए। तेज़ी के मौजूदा दौर में रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात काफी घट गया है। भले ही बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगा दिया गया हो। मगर बेहतर होगा कि ऐसे में ट्रेडिंग रोककर दो-तीन साल के लंबे निवेश का रुख कर लें। फिर भी अगर ट्रेडिंग करनी है तो उन कंपनियों में करें जिनके स्टॉक्स फंडामेंटल मजबूती के बावजूद दबे पड़े हैं। अब शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी