शायद आपने भी गौर किया होगा कि अधिकांश शेयरों ने साल भर पहले फरवरी महीने में अपना न्यूनतम स्तर पकड़ा था। उसके बाद बाजार बराबर बढ़ता ही रहा। 2016 के आखिरी चार महीनों में करीब 12% बढ़त साफ हो गई। फिर भी बाज़ार का जोश एकदम टूटा नहीं है। ऐसे में जानकार मानते हैं कि बाजार में नई खरीद से बढ़त का सिलसिला कम से कम अगले दो साल तक बदस्तूर चलता रहेगा। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

नए वित्त वर्ष 2017-18 का बजट आ गया। अगले कुछ दिन जानकार लोग इसके विश्लेषण में लगे रहेंगे। जीएसटी का अहम सुधार बाद में लागू किया जाना है। वैसे, खांटी ट्रेडरों के लिए खबरों का बहुत ज्यादा मायने-मतलब नहीं होता। वे तो वित्तीय बाजार के स्वभाव से खेलने हैं जो कभी सीधी रेखा में नहीं चलता। हमेशा ऊपर-नीचे होता रहता है। लहर की हर डुबकी उनके लिए कमाने का मौका होती है। अब पकड़ें गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अहम सालाना अनुष्ठान आज संपन्न होने जा रहा है। सबकी निगाहें कम से कम दोपहर दो बजे तक टीवी पर चिपकी रहेंगी कि वित्त मंत्री क्या-क्या घोषणा करने जा रहे हैं। बाज़ार की सांस उसी हिसाब से ऊपर-नीचे होती रहेगी। फिलहाल माहौल में उम्मीदों के बजाय निराशा का पुट ज्यादा दिख रहा है। ऐसे में ज़रा-सी खबर बड़ी हलचल का सबब बन सकती है। ट्रेडिंग में खतरा ज्यादा है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी